राजस्थान के प्रमुख वाद्ययन्त्र/लोकवाद्य (Major Musical Instruments/Folk of Rajasthan)

राजस्थान के प्रमुख वाद्ययन्त्र/लोकवाद्य  

राजस्थान के प्रमुख वाद्ययन्त्र/लोकवाद्य (Major Musical Instruments Folk of Rajasthan): राजस्थान, भारत की एक रंगीन और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य है, जहां राजस्थान के प्रमुख वाद्ययन्त्र/लोकवाद्य की एक जीवंत परंपरा है। राजस्थान के प्रमुख वाद्ययन्त्र/लोकवाद्य के पारंपरिक वाद्ययंत्रों में कई अनूठी और दिलचस्प विशेषताएं हैं जो उन्हें अन्य क्षेत्रों के वाद्ययंत्रों से अलग करती हैं
राजस्थान के प्रमुख वाद्ययन्त्र/लोकवाद्य (Major Musical Instruments/Folk of Rajasthan)


 राजस्थान के प्रमुख सुषिर वाद्ययंत्र 

वे वाद्ययंत्र जिन्हे फूंक मार कर बजाया जाता है


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तु  भूल  ना   कर    मौसम  में   
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1. तुरही  2. भूंगल  3. नागफणी  4. करणा  5. मोरचंग  6. सतारा 7.मस्क/मण्ड  8. मैका 

सीन देखकर शंख
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 9. सीगा  10. नड  11. शंख  

शहनाई तार से बजाने की अलगोजा
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12. शहनाई  13. तारपी  14. बांसुरी  15. अलगोजा

   बांसुरी  

• अन्य नाम → मुरली, नादि, वेणु, वंश
• भगवान श्री कृष्ण का प्रमुख वाद्ययंत्र
• 5 छिद्रो वाली बांसुरी – पावला
• 6 छिद्रो वाली बांसुरी – रुला
• बांसुरी में 7 छिद्र होते है
• प्रमुख वादक – हरि प्रसाद चौरसिया

• इसका निर्माण दो बांसुरी को जोड़कर
• उपनाम – बाड़मेर के रणफकीरो का वाद्ययंत्र
• प्रमुख वादक – धोधे खाँ
• 1982 में दिल्ली एशियाई गेम्स अलगोजा  वाद्ययंत्र से शुरू

 शहनाई   

• नफरी, सुंदरी, हहनाई, हुरनाई
• मांगलिक व विवाह के अवसर पर बजाई जाती है
• प्रमुख वादक – उस्ताद विस्मिल्ला खाँ
• उस्ताद विस्मिल्ला खाँ को 2001 में भारत रत्न

• वर्तमान वादक – हुसैन खाँ
• यह सबसे श्रेठ वाद्ययंत्र है
• इसे नकसासी वाद्ययंत्र भी कहते है

 मोरचंग  

• सबसे छोटा वाद्ययंत्र
• इसे राजस्थान का ज्युपहार्प कहते है

 मस्क/मण्ड   

• सर्वाधिक प्रचलन – सवाई माधोपुर
• भैरू जी के भोपो द्वारा बजाया जाता है

 तारपी   

• कद्दू की लकड़ी से निर्मित
• कथोड़ी जनजाति का प्रमुख वाद्ययंत्र

राजस्थान के प्रमुख घन वाद्ययंत्र →

वे वाद्ययंत्र जो धातु से निर्मित होते है

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देव           घंटा    में     झांझ     मजीरा 
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1. देवघण्टा  2. घण्टा  3. घण्टी  4. झांझ  5. मजीरा 

ले      खड़ा      तन
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6. लेजिम  7. खड़ताल  8. तन्कोर

कर रणसिंह चिपटो भर 
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9. करताल  10. रणसिंह  11. चिमटा  12. टोटकी  13. भरनी  

थाली में झोल घुंघरू बोले कांग्रेचु
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14. थाली  15. रमझोल  16. घुँघरू  17. काग्रेच्छ

  खड़ताल  

• साधु -सन्यासियो का प्रमुख वाद्ययंत्र
• खड़ताल का जादूगर – सद्दीक खाँ मांगडियार
• पश्चामी राजस्थान में मांगड़ियार जाति द्वारा बजाया जाता है।

 करताल 

• अंग्रेजी वर्णमाला में B अक्षर के समान
• कटोरियों को लकड़ी के पट्टे पर लगा कर ध्वनि उत्पन्न की जाती है।

 लेजिम  

• धनुषकार आकृति का बना होता है, जिसमे घूँघरू लगे होते है।
• गरासिया जनजाति द्वारा मुख्यतः मंदिर एवं उत्सवो में बजाया जाता है

 काग्रेच्छ  

• ब्रुश के समान आकृति होती है। 
• बागड़ क्षेत्र में भीलो द्वारा बजाया जाता है। 

राजस्थान के प्रमुख तत् वाद्ययंत्र →

वे वाद्ययंत्र जिन्हे तारों की सहायता से बजाया जाता है

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एक दो बार सुंदर तोते ने रावण जी की 
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1. एक तारा /दो तारा  2. रबाव / रबाज  3. सुरिंन्दो  4. टोटो  5. रावणहत्था  6. जंतर 

दुकान चेक की तो सारा पंगा कम हो गया
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7. दुकाको  8. चिकारा  9. कांडी। 10. सारंगी  11. अपंग /भपंग  12. कामायचा

  रावणहत्था  

• यह अधकटे नारियल का बना होता है
• इसमें तारों की संख्या – 9
• एक तार घोड़े की पूँछ का बना होता है, जिसे पुखाबज कहा जाता है
• देवताओं के फड़ वाचन के समय बजाया जाता है

 रबाब/रबाज  

• इसमें तारों की संख्या – 4-5

  जंतर  

• इसमें तारों की संख्या – 5-6

 सुरिंन्दो  

• इसमें तारों की संख्या –10
• मुख्यतः लगा जाति द्वारा बजाया जाता है
• रोहिड़ा की लकड़ी से निर्मित

  कामायचा 

• इसमें तारों की संख्या –16
• प्रथम 3 तार रौदा,9 तार झाड तथा अंतिम 4 तार तराब कहलाते है। 
• इसे ईरानी वाद्ययंत्र कहते है।

• इसे सारंगी की रानी कहा जाता है।
• पश्चिमी राजस्थान में इसे सरबट भी कहते है।

 सारंगी  

• इसमें तारों की कुल संख्या – 27
• लगा व मांगड़ियार जाति का प्रमुख वाद्ययंत्र।
• इसे कामायचा का Raja कहते है। 

• प्रसिद्ध सारंगी – आलू सारंगी, गुजरती सारंगी, डेढ़ पसली सारंगी
• सागवान की लकड़ी से निर्मित
• सिंधी सारंगी को सारंगी को सर्वश्रेष्ठ मना जाता है। 

 राजस्थान के प्रमुख अवनद वाद्ययंत्र →

वे वाद्ययंत्र जो चमड़े के बने होते है तथा उन्हें पीटने पर ध्वनि उत्पन्न होती है।

ट्रिक → नौन  कु टाटा  डुगडगी 
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1. नौवत  2. नगाड़ा  3. कुण्डी  4. टामक 5. तासा  6. डुगडुगी  7. डमरू       

पर 2 ढोल  ले  मांढी आ
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8. ढोल  9. ढोलक 10. मांदल  11. ढीव

 नगाड़ा  

• इसे गजशाही तथा युद्ध का लरटीक वाद्ययंत्र कहते है।
• इसे युद्ध वाद्ययंत्र भी कहते है।
• छोटा नगाड़ा मादा तथा बड़ा नगाड़ा नर कहलाता है। 
• प्रसिद्ध वादक – रामकृष्ण सोलंकी (पुष्कर)

 टामक 

• अन्य नाम → बम्ब, धौसा
• भरतपुर व सवाई माधोपुर में प्रचलित है।
• जाट व गुर्जर जाति का वाद्ययंत्र
• आकृति में सबसे बड़ा वाद्ययंत्र
• भैंसे की खाल से निर्मित

 मांदल  

• शिव व पार्वती को समर्पित वाद्ययंत्र है।

 तासा  

• मुसलमानो के मोहर्रम माह में ताजिया निकालतेसमय इनका प्रयोग किया जाता है।

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