राणा स्वरूप सिंह - मेवाड का इतिहास (राजस्थान सामान्य ज्ञान) Rana Swaroop Singh - History of Mewar (Rajasthan General Knowledge)

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यह ब्लॉग पोस्ट निम्नलिखित विषयों को कवर करता है:

  • महाराणा स्वरूप सिंह का जीवन परिचय
  • शासनकाल
  • निर्माण कार्य
  • सामाजिक सुधार
  • 1857 की क्रांति
  • अर्थव्यवस्था
  • विरासत

राणा स्वरूप सिंह - मेवाड का इतिहास

• शासन काल - 1842-61 ई.
• सरदार सिंह के दत्तक पुत्र
• इन्होने जगत शिरोमणि मंदिर, स्वरूपसागर झील, अभेडा मंदिर पशुपातेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कराया।
• 1844 ई. मे मेवाड में कन्या वध पर रोक लगाई।
• विजय स्तम्भ का जीर्णोद्धार स्वरूप सिंह के द्वारा कराया गया।

1853 ई. मे इनके काल में M.B.C के अध्यक्ष J.C. ब्रुक ने डाकन प्रथा पर रोक लगाई।
1861 ई. मे स्वरूप सिंह ने समाधि प्रथा पर रोक लगाई।
1857 की क्रांति के समय मेवाड के शासक रहे।
1857 की क्रांति के समय पिछौला झील में स्थित जगमंदिर मे अंग्रेजो को शरण दी।
स्वरूप सिंह ने स्वरूपशाही चाँदी के सिक्के चलाए।

शासनकाल: 1842-1861 ई.

महाराणा स्वरूप सिंह, मेवाड़ के इतिहास में एक महत्वपूर्ण शासक थे। उन्होंने 1842 से 1861 तक मेवाड़ पर शासन किया। महाराणा सरदार सिंह के दत्तक पुत्र होने के नाते, स्वरूप सिंह के कंधों पर मेवाड़ के गौरव को पुनर्स्थापित करने की बड़ी जिम्मेदारी थी।

निर्माण कार्य:

स्वरूप सिंह ने मेवाड़ के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्माण कार्य करवाए, जिनमें जगत शिरोमणि मंदिर, स्वरूपसागर झील, अभेडा मंदिर और पशुपातेश्वर महादेव मंदिर प्रमुख हैं। इन निर्माण कार्यों ने मेवाड़ की स्थापत्य कला को नई ऊंचाई पर पहुंचाया।

समाज सुधार:

महाराणा स्वरूप सिंह एक दूरदर्शी शासक थे। उन्होंने समाज सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। 1844 में उन्होंने मेवाड़ में कन्या वध पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके अलावा, 1853 में एम.बी.सी. के अध्यक्ष जे.सी. ब्रुक के सहयोग से उन्होंने डाकन प्रथा पर भी रोक लगाई। 1861 में उन्होंने समाधि प्रथा पर भी प्रतिबंध लगाकर एक और महत्वपूर्ण सामाजिक सुधार किया।

1857 की क्रांति:

1857 की क्रांति के समय, महाराणा स्वरूप सिंह मेवाड़ के शासक थे। उन्होंने अंग्रेजों का समर्थन किया और पिछौला झील में स्थित जगमंदिर में अंग्रेजों को शरण दी। इस तरह उन्होंने मेवाड़ को संकट से बचाया।

अर्थव्यवस्था:

स्वरूप सिंह ने मेवाड़ की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए भी कई प्रयास किए। उन्होंने स्वरूपशाही चांदी के सिक्के चलाए, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिला।

विरासत:

महाराणा स्वरूप सिंह ने मेवाड़ के इतिहास में एक सुनहरा अध्याय जोड़ा। उन्होंने मेवाड़ को एक मजबूत और समृद्ध राज्य बनाया। उनके द्वारा किए गए सामाजिक सुधारों ने मेवाड़ के समाज को नई दिशा दी। आज भी मेवाड़वासी उन्हें एक महान शासक के रूप में याद करते हैं।


निष्कर्ष:

महाराणा स्वरूप सिंह एक दूरदर्शी, कुशल और दयालु शासक थे। उन्होंने मेवाड़ के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके शासनकाल में मेवाड़ ने समृद्धि और विकास की नई ऊंचाइयां छुईं।

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