राजस्थान के प्रमुख जनजातीय नृत्य (Major Tribal Dances of Rajasthan )

राजस्थान के प्रमुख जनजातीय नृत्य 

राजस्थान के प्रमुख जनजातीय नृत्य (Major Tribal Dances of Rajasthan) हिन्दी मे सभी जनकरिया
राजस्थान के प्रमुख जनजातीय नृत्य (Major Tribal Dances of Rajasthan )



1. भीलो  के नृत्य 

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भीलो की गवरी ने गेरो के युद्ध में रम पी
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1. गवरी  2. नेजा  3. गेर  4.  युद्ध  5.  रमणी 

कर हाथी पर गीली लाठी लेकर द्विचकरी 
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6. हाथीमना  7. गिलखिचरिया  8. लाठी  9. द्विचकरी

घूमी
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 10. घूमरा

गवरी/राई नृत्य   

• भाद्रपद मास से प्रारम्म् होकर आश्विन मास तक चलता है (लगभग - 40 दिन)
• सर्वाधिक लम्बी अवधि तक चलने वाला नृत्य है।
• शिव व भस्मासुर की कथा पर आधारित है।
• इस नृत्य में भैरुजी को प्रसन्न किया जाता है।
• शिव-पार्वती को सम‌र्पित है।

• सबसे प्राचीन नाट्‌य मेरु नाट्‌य है।
• नृत्य क अन्तिम दिन कुम्हार के घर से हाथी-घोडे खरीदना बलावन कह‌लाता है।
• गवरी नृत्य में एक व्यक्ति शिव का अनुनय करता है। वह एक त्रिशुल को पकड़ कर बीच में खड़ा हो जाता है।
• अन्य व्यक्ति 2 दलो में 3 भागो में बट जाते हैं।
• पहले भाग के प्रथम दल का व्यक्ति झामट्‌या-झामट्‌या कहता है तो दूसरे भाग के प्रथम दल का व्यक्ति खडक्या - खडक्या कहता है।

 1. झामट्‌या - झामट्‌या = खडक्या - खडक्या
2. एकी - एकी = बैकी - बैंकी
3. मीणा - मीणा = गूजरी - गूजरी

  नेजा नृत्य 

• भीलवाड़ा
• होली के अवसर पर युगल नृत्य होता है।

 हाथी मना नृत्य 

• पुरुषो द्वारा हाथ में तलवार लेकर बैठकर किया जाता है।

 द्विचकरी नृत्य  

• यह युगल नृत्य है।
• दो अर्द्धवृताकर घेरो में एक दल गाता है तथा दूसरा दल बजाता है।

2. गरासिया जनजाति के नृत्य  

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गोलू  मामो  जब 
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1. गोल  2. लूर  3. मांदल  4. मोरिया  5. ज्वारा   

ज्वारो में कूदो
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 6. वालार  7. रायण  8. कूद 

 वालर नृत्य  

• प्रसिद्ध - सिरोही
• वालर नृत्य को गरासियो का घूमर कहते है।
• यह नृत्य दो प्रकार से किया जाता है।

1.महिलाए - किसी भी प्रकार के वाद्ययंत्र का प्रयोग नहीं
2. पुरुष - नगाडा तथा ढपली वाद्ययंत्र बजाया जाता है।

 रायण नृत्य  

• गरासिया जनजाति के पुरुष हाथ में तलवार लेकर नकली युद्ध का प्रद‌र्शन करते हैं।
• यह नृत्य गरासियो की वीरता का प्रतीक है।

लूर नृत्य  

•  यह नृत्य दो दलो में किया जाता है।
•  महिलाए दो दलो में बटकर एक दल  रिस्ते की मांग करते हुए नृत्य करती है।

3. कथौडी जनजाति के नृत्य   

•  यह जनजाति सर्वाधिक उदयपुर जिले में निवास करती है।
• इस जनजाति का प्रमुख कार्य खैर के वृक्ष से कत्था/ गोंद तैयार करना है।
• होली – होली के अवसर पर पिरामिड बनाते हुए किया जाता है।
• मावलिया - नवरात्रों के अवसर पर किया जाता है।

4.सहरिया जनजाति के नृत्य  

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शहर का शिकारी इंद्रपरि के लेंहगा व झेला
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1. सांगा  2. शिकारी  3. इंद्रपरि  4. लेहंगा  5. झेला

  शिकारी – पुरुषो द्वारा किया जाता है शौर्य व वीरता का प्रतीक
  इंद्रपरि – पुरुष महिलाओ की वेशभूषा पहनकर करते हैं।
लेंहगा – महिलाओं द्वारा आयोजित नृत्य
  झेला – इसमें महिला नृत्य करती है तथा पुरुष गाते हैं।
  सांगा – यह युगल नृत्य है।

5. कालबेलिया जनजाति के नृत्य  

1. कालबेलिया नृत्य 2. शंकरिया नृत्य  3. पुंगी नृत्य 4. बिच्छूणी नृत्य  5. बागड़िया नृत्य 6. पणिहारी नृत्य 7. छाग नृत्य 8. नव नृत्य

कालबेलिया नृत्य  

• प्रसिद्ध –अजमेर, पाली
• प्राचीन समय में सपेरा व सपेरिन की प्रेमकथा पर आधारि
• वाघयंत्र- पुंगी व बीन
• वर्त‌मान में गीत पर आधारित
• काले रंग का व 80 कली का लहंगा पहनकर नृत्य किया जाता है।

राजस्थान का एकमात्र नृत्य काल‌बेलिया इस है जिसे 2010-2011 में विश्व विरासत में शामिल किया गया है।
•  प्रसिद्ध नृत्यांगना गुलाबो सपेरिन का सम्बन्ध इसी नृत्य से है।
• गुलाबो नृत्यांगना 2015 को में पद्‌मश्री से सम्मानित किया गया।

6. कंजर जाति के नृत्य  

1. धाकड नृत्य
2. फुंदी / चकरी नृत्य
3. कजर नृत्य

7. मेव जन जाति के नृत्य  

 रतबाई नृत्य - महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य
रणबाजा नृत्य - मेव जनजाति की शौर्य व वीरता का प्रतीक है।

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